महाराष्ट्र विधानमंडल ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई को दी बधाई, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें किया सम्मानित। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि डा. अंबेडकर ने कहा था कि संविधान स्थिर नहीं रह सकता, इसे जैविक होना चाहिए और निरंतर विकसित होना चाहिए।

 

देश के पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का रिटायरमेंट के बाद सरकारी बंगले में तय अवधि से ज्यादा दिन रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर उनसे बंगला तुरंत खाली कराने की मांग की है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसे पारिवारिक मजबूरी बताया है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटियों की विशेष जरूरतों के कारण नया घर मिलने में देरी हुई। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अब और मोहलत नहीं दी जा सकती।

देश के पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का रिटायरमेंट के बाद सरकारी बंगले में तय अवधि से ज्यादा दिन रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर उनसे बंगला तुरंत खाली कराने की मांग की है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसे पारिवारिक मजबूरी बताया है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटियों की विशेष जरूरतों के कारण नया घर मिलने में देरी हुई। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उन्हें अब और मोहलत नहीं दी जा सकती।

 

सुप्रीम कोर्ट में स्टाफ़ नौकरियों में पहली बार SC-ST आरक्षण नीति लागू हो गई है। इससे कर्मचारियों को प्रमोशन और सीधी भर्ती में रिजर्वेशन का फायदा मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला उन लोगों के लिए अच्छी खबर है, जो SC और ST समुदाय से आते हैं। वो सुप्रीम कोर्ट में नौकरी करना चाहते हैं। 23 जून से यह नियम लागू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने 24 जून को जारी नोटिस में यह जानकारी दी।

 

सुप्रीम कोर्ट में स्टाफ़ नौकरियों में पहली बार SC-ST आरक्षण नीति लागू हो गई है। इससकर्मचारियों को प्रमोशन और सीधी भर्ती में रिजर्वेशन का फायदा मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला उन लोगों के लिए अच्छी खबर है, जो SC और ST समुदाय से आते हैं। वो सुप्रीम कोर्ट में नौकरी करना चाहते हैं। 23 जून से यह नियम लागू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने 24 जून को जारी नोटिस में यह जानकारी दी।

देश की सर्वोच्च अदालत ने बड़ा फैसला लिया है कि अब सुप्रीम कोर्ट में SC और ST के लिए स्टाफ की भर्तियों में आरक्षण होगा। यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने स्टाफ़ की नौकरियों में ऐसा किया है। यह बदलाव चीफ जस्टिस बीआर गवई के कार्यकाल में हुआ है। चीफ जस्टिस अनुसूचित जाति से आने वाले दूसरे चीफ जस्टिस हैं।

इसका आदेश का मतलब है कि अगर किसी कर्मचारी को आरक्षण लिस्ट में कोई गलती दिखती है, तो वे भर्ती विभाग के रजिस्ट्रार को बता सकते हैं। यह आरक्षण अलग-अलग पदों के लिए है। जैसे कि सीनियर पर्सनल असिस्टेंट, असिस्टेंट लाइब्रेरियन, जूनियर कोर्ट असिस्टेंट, जूनियर कोर्ट असिस्टेंट कम जूनियर प्रोग्रामर, जूनियर कोर्ट अटेंडेंट और चेंबर अटेंडेंट। इस नीति के अनुसार, अनुसूचित जाति SC कैटेगरी के लिए 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति ST कैटेगरी के लिए 7.5 फीसदी पद आरक्षित होंगे।

सुप्रीम कोर्ट में स्टाफ़ की सीधी भर्ती में आरक्षण नहीं था। यह पहली बार है जब ऐसा हुआ है। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने इस फैसले को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से SC और ST समुदाय के लोगों को फायदा होगा। अब उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट में नौकरी पाने में आरक्षण का फायदा मिलेगा। इससे सुप्रीम कोर्ट में काम करने वाले लोगों में विविधता आएगी। यह फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

 

देश के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने देश को एकजुट रखने के लिए एक ही संविधान रखने की पैरोकारी की थी, और कभी भी किसी राज्य के लिए, अलग संविधान के विचार का समर्थन नहीं किया था। चीफ जस्टिस नागपुर में संविधान प्रस्तावना पार्क के उद्घाटन पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे।

 

भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने न्यायपालिका की ईमानदारी और स्वतंत्रता पर उठते सवालों को काफी गंभीरता से लिया है और रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी पद न लेने का भी फैसला किया है। चीफ जस्टिस ने कॉलेजियम सिस्टम की खामियां भी स्वीकार की है। चीफ जस्टिस बीआर गवई का मानना है कि रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के जज अगर सरकारी पद स्वीकार करते हैं, या सत्ता में आने के लिए चुनाव लड़ते हैं, तो इससे लोगों के बीच गलत संदेश जाता है, और जनता का न्यायपालिका पर बना भरोसा उठ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की तरफ से भेजी गई सिफारिशों को राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। जिन 3 जजों की नियुक्ति को मंजूरी मिली है उनमें दो अलग-अलग हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं, जबकि एक हाई कोर्ट के वरिष्ठ जज हैं- जस्टिस एन वी अंजारिया, चीफ जस्टिस, बॉम्बे हाई कोर्ट (मूल हाई कोर्ट, गुजरात) जस्टिस विजय बिश्नोई, चीफ जस्टिस, गौहाटी हाई कोर्ट (मूल हाई कोर्ट, राजस्थान) जस्टिस ए एस चंदुरकर, बॉम्बे हाई कोर्ट।

 

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय वायुसेना को आदेश दिया है कि वे आपरेशन बालाकोट और ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा रही भारतीय वायुसेना की महिला अधिकारी निकिता पांडे को अभी नौकरी से मुक्त नहीं करें, जिन्हें स्थायी कमीशन से वंचित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने वायुसेना को एक पेशेवर बल बताते हुए कहा कि ऐसे अधिकारियों के लिए सेवा में अनिश्चितता उचित नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर केंद्र और वायुसेना से जवाब मांगा है।


सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए शरणार्थियों को लेकर अहम टिप्पणी की।सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘भारत कोई धर्मशाला नहीं है’ और ‘हम दुनिया भर से आए शरणार्थियों को शरण क्यों दें।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम खुद 140 करोड़ लोगों के साथ संघर्ष कर रहे है और हर जगह से आए शरणार्थियों को शरण देना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने यह टिप्पणी की।

Go to top

Powered by Rajmangal Associates P. Ltd.